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भूमि के चयन के समय
यदि हम भूखण्ड का चयन सही करते हैं तो निश्चित रूप से हम अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों की तरफ एक सफल कदम बढ़ा चुके होते हैं। और यदि भूखण्ड के चयन में हमने वास्तु के नियमों की अवहेलना की है तो निश्चय ही हम अपने उद्देश्यों से पहला कदम ही विपरीत दिशा में बढ़ा चुके होते हैं। भूमि का चयन उस भूमि के उपयोगों से जुड़े उद्देश्यों के आधार पर वास्तुशास्त्री की राय बेहद अहम् होती है।
भवन निर्माण से पहले
भवन निर्माण से पूर्व यदि आप हमसे जुड़ते हैं तो हमारे विशेषज्ञ भवन निर्माण की सम्पूर्ण प्रक्रिया से जुड़कर श्रेष्ठ परिणाम दे पाने में सक्षम हो सकते हैं। भूमि के दोषों का सुधार करके, उपयोगिता के आधार पर भवन का दोष रहित नक्शा बनवाकर, सही मुहुर्त में निर्माण कार्य वास्तुसम्मत विधि से करवा सकते हैं।
निर्माण के दौरान
भवन निर्माण के दौरान वास्तुशास्त्री की सलाह लेने पर थोड़े बहुत बदलाव व कम आर्थिक भार में ही भविष्य में आने वाली समस्याओं से निजात पायी जा सकती है।
निर्माण के बाद -
वास्तु के नियमों की अवहेलना करते हुए जब निर्माण कार्य किए जाते हैं तो बहुत से आर्थिक, पारिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक व स्वास्थ्य संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। अतः भवन निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद यदि आप उनसे जुड़े उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं तो आपको निश्चय ही वास्तुशास्त्री से सलाह लेकर वास्तुशान्ति के उपाय करने चाहिए।